हरमिंदर जी ने कन्याकुमारी में थिरूवल्लूर की विशाल प्रतिमा देख कर कहा -तपन भाई ,एक लेखक ,पत्रकार और पाठक के रूप में मै सभी साहित्यकारों का दिल से सम्मान करता हूँ ,लेकिन यहाँ विवेकानंद -स्मारक के बाज़ू में महान तमिल कवि थिरूवल्लूर की प्रतिमा आँखों को बहुत खटकती है .क्या यह विवेकानंद के प्रभाव को कम करने का प्रयास है ? क्या तमिलो को तमिलनाडु में और कहीं जगह नहीं मिली ? यह मूर्ति इस पवित्र स्थल की महिमा को बढ़ाने की बजाय कम कर देती है. -Harminder Malik Khaas के साथ.
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